ग्रह बताएँ आतंकवादी बनने के संकेत
हर जगह गूँज रही है आतंकवाद के खिलाफ उठती हुई आवाज। हर किसी के जेहन में बस यही एक सपना है कि अमन-चैन से रहें। हमारा देश शांतिप्रिय है लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि हम कायर हैं। हम भी जवाब देना जानते हैं। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाने के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में तबाही मचा दी थी। जबकि हमारी संसद पर 13 दिसंबर 2001 को हमला करने वाले आतंकवादी अफजल को हम आज तक सजा नहीं दे पाए। हमारी इसी कमजोरी के कारण हम निरंतर आतंकवाद से जूझते आ रहे हैं। इसका ताजा परिणाम मुंबई में भी देखने को मिला। आखिर क्यों बनते हैं आतंकवादी? आतंकवादी बनाने में कुछ ग्रहों का भी हाथ होता है। हमारे यहाँ कहावत भी है जब बच्चा बहुत शरारती होता है तो आस-पड़ोस वाले कहते हैं किस नक्षत्र में पैदा हुआ है। तो ये कहावत यूँ ही नहीं कही जाती इसके पीछे कुछ न कुछ सच्चाई जरूर है।
NDउग्र स्वभाव ही इस ओर ले जाने में सहायक होता है। ऐसे ही व्यक्तियों को कहीं धर्म के नाम पर तो कहीं जेहाद के नाम पर आतंकवादी बना दिया जाता है। इसमें लग्न, तृतीय, चतुर्थ, पंचम, षष्ट, नवम् एवं दशम भाव प्रमुख हैं। वहीं ग्रहों में मंगल, शनि, राहु, गुरु, शुक्र, सूर्य, केतु व चंद्रमा प्रधान माने जाते हैं। मंगल ऊर्जा, साहस, युद्ध को प्रेरित करने वाला उग्र स्वभाव का होता है, शनि प्रजासत्ता का कारक होकर मंगल से दृष्टि होने पर विस्फोटक स्थिति का निर्माण करता है। राहु यदि खराब हो तो विघ्न कारक होता है, गुरु जहाँ धर्म, न्याय, संगठन क्षमता का कारक होता है वहीं नीच का होने पर बुद्धि भ्रष्ट कर देता है, शुक्र धन की लोलुपता को बढ़ाता है वहीं अनैतिक तरीके से धन कमाने के लिए गलत रास्ते पर जाने को भी प्रेरित करता है। सूर्य ऊर्जा शक्ति बढ़ाता है वहीं यह आत्मा का भी कारक है, चंद्रमा मन का कारक है ही। लग्न से स्वयं को देखा जाता है, वहीं तृतीय भाव से पराक्रम शक्ति का अनुमान लगता है। चतुर्थ भाव भूमि का, पंचम दिमाग का, षष्ट भाव शत्रु का तो नवम भाव धर्म का। इन सबको ध्यान में रखकर जाना जा सकता है कि कौन इस ओर प्रेरित हो सकता है। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि उस जातक की पृष्ठभूमि क्या है? उसी प्रकार उस जातक का चाल-चलन होगा। लग्न में शनि नीच का है व उसे मंगल देखता हो और राहु युक्त गुरु की दृष्टि पड़ती हो तो ऐसा जातक आतंकवादी बन सकता है और यदि लग्नेश भी अशुभ हो तो ऐसा जातक बिगड़ेगा ही। तृतीयस्थ भाव में उपरोक्त ग्रह हो तब भी यही स्थिति बनेगी। चतुर्थ भाव में मंगल उच्च का हो व शनि की दृष्टि पड़ती हो व गुरु भी नीच का हो तो ऐसी स्थिति निर्मित होती है। पंचम भाव कहीं भी नीच का हो या शत्रु का हो व पंचम भाव में शनि-मंगल हों तो ऐसी स्थिति बनती है। षष्ट भाव में शनि-मंगल हों व लग्नेश अशुभ हो तो ऐसा जातक गलत रास्ते पर जा सकता है। नवम भाव धर्म का है यदि गुरु उच्च का होकर शनि-मंगल के साथ हो व लग्नेश बली हो तब ऐसा जातक धर्म की आड़ में गलत हरकत कर सकता है। शनि-मंगल का समसप्तक होना व अंशात्मक स्थिति हो तब युद्ध की स्थिति बनती है। ऐसी ही स्थिति 5 अप्रैल को बन रही है, हमें पहले से ही सजग रहना होगा। आतंकवादी बनने की स्थिति पारिवारिक स्थिति, आस-पास का माहौल, उसकी शिक्षा भी इस ओर प्रेरित करती है। हमारे धर्म ग्रंथों में भी लिखा है 'जैसा खाएँ अन्न वैसा बने मन।'
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